
अफ्रीकी देशों में नौकरी करने गए भारतीयों को शायद किसी ने बताया नहीं कि ‘इंटरनेशनल एक्सपीरियंस’ का मतलब सिर्फ नई संस्कृति सीखना नहीं होता — कभी-कभी बुलेट भी सीखनी पड़ती है।
15 जुलाई को पश्चिमी अफ्रीकी देश नीज़ेर के डोसो क्षेत्र में एक आतंकवादी हमले में दो भारतीय नागरिकों की मौत हो गई और एक का अपहरण कर लिया गया।
भारतीय दूतावास की अपील: “लाइव लोकेशन ऑन रखो, और खुद को ऑफ मत करो”
भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा- “हम नीज़ेर के डोसो क्षेत्र में आतंकवादी हमले में दो भारतीयों की मृत्यु और एक के अपहरण से स्तब्ध हैं। हम शवों को भारत भेजने और अपहृत की रिहाई के लिए स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं।”
साथ ही दूतावास ने नीज़ेर में रह रहे सभी भारतीयों को चेतावनी देते हुए कहा — “जगह बदलो, लोकेशन मत छोड़ो!”
आतंकवादी नहीं देखते पासपोर्ट, बस GPS लोकेशन
नीज़ेर में ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। अब सवाल उठता है: विदेशों में रोजगार के अवसर खोजने वाले भारतीय क्या अपने जान की कीमत चुका रहे हैं? या फिर अब विदेश नीति में “डेंजर अलाउंस” भी जोड़ना होगा?
सरकार सक्रिय, लेकिन ज़मीन पर हालात तनावपूर्ण
भारतीय दूतावास ने भरोसा दिलाया है कि शवों को स्वदेश लाने और अपहृत भारतीय की सुरक्षित वापसी के प्रयास तेजी से चल रहे हैं।

विदेश मंत्रालय ने भी बयान में कहा है कि स्थानीय प्रशासन से हरसंभव मदद ली जा रही है। लेकिन फिलहाल नीज़ेर में भारतीय समुदाय के बीच चिंता और डर का माहौल है।
इंटरनेशनल जॉब्स का सपना, लोकल दहशत की सच्चाई
नीज़ेर की घटना ने एक बार फिर साफ कर दिया कि विदेश में नौकरी या व्यापार सिर्फ ग्लोबल नहीं, स्लोबल (Slow+Global) भी हो सकता है — जहां हर फैसला सोच-समझकर करना ज़रूरी है।
भारतीय सरकार से अपील है कि नीज़ेर जैसे उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों को सुरक्षा और मदद की प्राथमिकता दी जाए।
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